सन, 1857 में पायली के मलवाण सलेम खां पायली से खण्डेला
आकर रहने लगे और खण्डेला के राजा के दरबार में नोकरी करने लगे सलेम खां मलवाण के
एक पुत्र थे दुल्हे खां, सलेम खां ने खण्डेला में 40 साल रहने के बाद सलेम खां का
इन्तकाल हो गया | उस के बाद सलेम खां
के पुत्र दुल्हे खां ने खण्डेला छोड़ दिया और खाचरियावास आकर रहने लगे और जमींन
लेकर उस पर खेती करने लगे दुल्हे खां के तीन पुत्र हुए मह्म्दु खां करीम खां असरफ
खां दुल्हे खां के इन्तकाल के बाद तीनो भाई अलग अलग हुए और अपना-अपना कारोबार करने लगे जिसमें बड़े पुत्र मह्म्दु
खां के तीन पुत्र हुए बिरदी खां रूड खां और गनी खां जिन्होंने अपने पिता के
इन्तकाल के बाद खाचरियावास छोड़ कर जालूपुरा (जयपुर) रहने लग गये | और करीम खां के कोई आस ओलाद नहीं हुई थी | वे अपने छोटे
भाई असरफ खां के साथ रहने लगे असरफ खां ने अपना कारोबार बड़ा लिया और खाचरियावास
में खेती करने लगे और ऊँटो का व्यापार करने लगे असरफ खां के सात पुत्र थे और 2
पुत्री थी |
1.
हैदर खां
2.
मकबूल खां
3.
गफ्फार खां
4.
छोटू खां
5.
इमामुदीन खां
6.
मुंशी खां
7.
सत्तार खां

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