फ़तेहखां का शेखावाटी पर अधिकार :
इस प्रकार फ़तेहखां ने शेखावाटी के दक्षिण पूर्वी भूभाग पर अपने आपको प्रस्थापित कर लिया था. उसने उत्तर की दिशा में पड़ने वाले भूभाग तक अपना आधिपत्य स्थापित किया जैसा कि 5 किले इस क्षेत्र में बनाने की बात से सिद्ध होता है. इस प्रकार दूर-दूर तक के भूभाग उसके अधीन थे. सीमान्त पर दुर्ग बनाकर उसने अपनी स्थिति काफी मजबूत करली. [11]
रासो के अनुसार ताजखां और महमदखां हिसार लौट गए थे. ताजखां बड़ा बलवान शासक हुआ. इसने खेतड़ी, खरकड़ा,बुहाना पर अधिकार किया और पाटन, रेवासा और आमेर को अपने वश में कर लिया. कछवाहे, निर्वाण, तंवर और पंवारों से उसने पेशकस ली. ताजखां की हिसार में मृत्यु संवत 1503 (1446 ई.) हुई. इसका भाई महमद खां हांसी में मरा. [12]

कई पुस्तकों में महमूदखां द्वारा झुंझुनूं बसाने की बात झुंझा जाट के प्रसंग से कही गयी है. [13] झुंझुनूं नगर के इसके पूर्व के बसने के प्रमाण जैन ग्रंथों में मौजूद हैं. 14 वीं शती के कई उद्धरण जैन ग्रंथों में मौजूद हैं जिससे इस नगर की प्राचीनता सिद्ध होती है. सिद्धसेन सूरि द्वारा विक्रमी 1123 (1066 ई.) में रचित सर्वतीर्थमाला में झुंझुनूं का वर्णन इस प्रकार किया गया है -
इसी प्रकार वरदा में प्रकाशित जानकारी से संवत 1300 में झुंझुनूं का उल्लेख इस प्रकारकिया गया है-
- "संवत 1300 तदनंतरं खाटू वास्तव्य साह गोपाल प्रमुख नाना नगर ग्रामे वास्ताव्यानेक श्रावका: श्री नवहा झुंझुणुवास्तव्य - [15]
वाकयात कौम कायमखानी में झुंझुनूं का बसना 1444 वि. माह बदी 14 शनिवार बताया गया है. इस बात की संभावना हो सकती है कि कायमखानियों ने झुंझुनूं को नए सिरे से भवनादिकों से सज्जित किया हो.फ़तेहखां के साथ-साथ ही मुहम्मदखां का पुत्र शम्सखां आया जिसने शेखावाटी के उत्तरी भूभाग पर अपना अधिकार स्थापित किया. शम्सखां के झुंझुनूं में अपना शासन स्थापित करने संबंधी एक उल्लेख त्रैलोक्य दीपक की प्रशस्ति में भी मिला है. इसके अनुसार सं. 1516 में झुंझुनूं में शम्सखां का शासन था.[16]
इस प्रकार फ़तेहखां ने शेखावाटी के दक्षिण पूर्वी भूभाग पर अपने आपको प्रस्थापित कर लिया था. उसने उत्तर की दिशा में पड़ने वाले भूभाग तक अपना आधिपत्य स्थापित किया जैसा कि 5 किले इस क्षेत्र में बनाने की बात से सिद्ध होता है. इस प्रकार दूर-दूर तक के भूभाग उसके अधीन थे. सीमान्त पर दुर्ग बनाकर उसने अपनी स्थिति काफी मजबूत करली.
इस प्रकार फ़तेहखां ने शेखावाटी के दक्षिण पूर्वी भूभाग पर अपने आपको प्रस्थापित कर लिया था. उसने उत्तर की दिशा में पड़ने वाले भूभाग तक अपना आधिपत्य स्थापित किया जैसा कि 5 किले इस क्षेत्र में बनाने की बात से सिद्ध होता है. इस प्रकार दूर-दूर तक के भूभाग उसके अधीन थे. सीमान्त पर दुर्ग बनाकर उसने अपनी स्थिति काफी मजबूत करली.
- "स्वस्ति संवत 1516 आषाढ़ सुदी पांच भोमवासरे झुंझुनूं शुभ स्थाने शाकी भूपति प्रजापालक समस्खान विजय राज्ये|"
वाकयात कौम कायमखानी के अनुसार शम्सखां ने एक तालाब बनवाया जो आज भी शम्स तालाब के नाम से प्रसिद्ध है. इसके पक्के घाट और सीढियां हैं. इसने 20 वर्ग मील क्षेत्र में एक बीड़ छोड़ा जिसमें जानवर चरते हैं. इसने कुछ पुख्ता कूवे भी बनवाए. इसी नवाब ने शम्सपुर नामक गाँव आबाद किया जो झुंझुनूं से 4 मील पूर्व में बसा हुआ है. शम्सखां कि मृत्यु झुंझुनूं में हुई जहाँ इसका एक पुख्ता गुम्बद मौजूद है. [17]
झुंझुनूं के नवाबों की सूची इस प्रकार है -
मोहम्मद खां | समस खां | फ़तेह खां |
मुबारक शाह | कमाल खां | भीकम खां |
मोहबत खां | खिजर खां | बहादुर खां |
समस खां सनी | सुल्तान खां | वाहिद खां |
साद खां | फज़ल खां | रोहिल्ला खां |
झुंझुनूं के अंतिम नवाब रोहिल्ला खां थे. यह 1730 में शार्दूल सिंह शेखावत के अधीन हुआ.
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