राजस्थान के इतिहासकार मुंहता नेणसी ने अपनी ख्यात में लिखा है कि हिसार के फौजदार सैयद नासिर ने ददरेवा को लूटा | वहां से दो बालक एक चौहान दूसरा जाट ले गए | उन्हें हांसी के शेख के पास रख दिया. जब सैयद मर गया तो वे बहलोल लोदी के हुजूर में भेजे गए. चौहान का नाम कायमखां तथा जाट का नाम जैनू रखा. जैनू के वंशज (जैनदोत) झुंझुनु फतेहपुर में हैं. कायमखां हिसार का फौजदार बना. चौधरी जूझे से मिलकर झुंझुनूं क़स्बाबसाया. कायमखां ददरेवा के मोटेराव चौहान का पुत्र था. कायमखां के वंशज कायमखानी कहलाते हैं ऐतिहासिक तथ्यों से इस बात की पुष्टी होती है. महाकवि जान, रासो के रचयिता, कायमखां के मोटेराव चौहान का पुत्र होना, ददरेवा का निवासी होना आदि तथ्यों का विस्तार से उल्लेख करते हैं. यह विवेचना आवश्यक है कि मोटेराव चौहान का कौनसा समय था तथा कायम खां किस समय मुसलमान बना. ददरेवा के चौहान साम्भर के चौहानों की एक शाखा थे. लम्बी अवधी से इनका ददरेवा पर अधिकार था और इनकी उपाधी राणा थी . चौहानों में राणा की उपाधी दो शाखाएं प्रयुक्त करती थी. पहली मोहिल और दूसरी चाहिल. ददरेवा के चौहान संभवत: चाहिल शाखा के थे. गोगाजी जो करमचंद के पूर्वज थे, के मंदिर के पुजारी आज भी चाहिल हैं. मोटे राव चौहान गोगाजी का वंशज था. दशरथ शर्मा गोगाजी का समय 11वीं शदी मानते हैं. उनके अनुसार वे महमूद गजनवी से युद्ध करते हुए सना 1024 में बलिदान हुए. रणकपुर शिलालेख में भी गोगाजी को एक लोकप्रिय वीर माना है. यह शिलालेख वि. 1496 (1439 ई.) का है यह प्रसिद्ध है कि गोगाजी से 16 पीढ़ी बाद कर्मचंद हुआ. इसी प्रकार जैतसिंह से उसे सातवीं पीढ़ी में होना माना जाता है. बांकीदास ने गोगाजी को जेवर का पुत्र होना लिखा है. गोगाजी के बाद बैरसी , उदयराज , जसकरण , केसोराई, विजयराज, मदनसी, पृथ्वीराज, लालचंद, अजयचंद, गोपाल, जैतसी, ददरेवा की गद्दी पर बैठे. जैतसी का शिलालेख प्राप्त हुआ है जो वि.स. 1270 (1213 ई.) का है. इसे वस्तुत: 1273 वि.स. का होना बताया है. जैतसी के बाद पुनपाल, रूप, रावन, तिहुंपाल, मोटेराव, यह वंशक्रम रासोकार ने माना है. जैतसी के शिलालेख से एक निश्चित तिथि ज्ञात होती है. जैतसी गोपाल का पुत्र था जिसने ददरेवा में एक कुआ बनाया. गोगाजी महमूद गजनवी से 1024 में लड़ते हुए मारे गए थे. गोगाजी से जैतसी तक का समय 9 राणाओं का प्राय: 192 वर्ष आता है जो औसत 20 वर्ष से कुछ अधिक है. जैतसी के आगे के राणाओं का इसी औसत से मोटेराव चौहान का समय प्राय: 1315 ई. होता है जो फिरोज तुग़लक के काल के नजदीक है. इससे स्पस्ट होता है कि कायम खां फीरोज तुग़लक (1309-1388) के समय में मुसलमान बना
कायम खां यद्यपि धर्म परिवर्तन कर मुसलमन हो गया था पर उसके हिन्दू संस्कार प्रबल थे. उसका संपर्क भी अपने जन्म स्थान के आसपास की शासक जातियों से बना रहा था. कायमखां के सात स्त्रियाँ थी जो सब हिन्दू थी.
कायमखां के सात रानियों के नाम थे (i) दारूदे - साडर के रघुनाथसिंह पंवार की पुत्री| (ii) उम्मेद कँवर - सिवाणी के रतनसिंह जाटू की पुत्री| (iii) जीत कँवर - मारोठ के सिवराज सिंह गोड़ की पुत्री| (iv) सुजान कँवर - खंडेला के ओलूराव निर्वाण की पुत्री| (v) सुजान कँवर - जैसलमेर के राजपाल भाटी की पुत्री| (vi) रतन कँवर - नागौर के द्वारकादास की पुत्री | (vii) चाँद कँवर - होद के भगवानदास बड़गूजर की पुत्री |
This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
Jai Rajputana bhai jab Humare bujrugo ne islam apnaya tha os time sirf Rajput Rajputana ke liye ladte Thea Hindu dhrm ke liye nahi os time dhram se pahle Rajputana thaa humare bujrugo ne bhi islam apna kar rajputana ke liye jaan ki baji lgai h os time jitne bhi Rajput raja Thea wo dhrm ki ladai nahi ladte Thea sirf or sirf rajputana ke liye ladte Thea aur hum Muslim hokar bhi os time rajputon ke saat milkar jung ladte Thea lekin aaj apko ye koi nahi btayega Kyo ki jo log jante Thea wo aaj is dunia me nahi h aaj apko khas karke Hindu dhram ke logo ko aaj gumrah kia ja raha h dhram ke naam par jhot par jhot phlaya ja raha h sirf apne fayede ke liye (Jai kayamkhani Jai Rajputana) (Jai Hind)
Tribhuvan bhahi garib ko kutiya se uthakar amir ke mahal m bhitha de to wo wapis q garibi ki kutiya m aaye.jb hmare purwjone snchayi ke rste per aagye the to ham wo sachayi ka rstha kese chod de
भाई इस्लाम में कोई खराबी तो है नहीं जो हम इस्लाम को छोड़ें हिंदू धर्म जैसे महान है उसी तरह इस्लाम धर्म भी बहुत महान है तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि हम में इस्लाम को छोड़कर हिंदू धर्म अपना ली आज भी हम हिंदू धर्म की सभी जितने भी संस्कार है उनका सम्मान करते हैं और यथोचित उन को अपनाते भी है और लेकिन इस्लाम में भी जो अच्छाइयां है उसको तो हम अपनाते है हमें बिल्कुल भी हिंदू धर्म से कोई परेशानी नहीं है और ना ही कोई नफरत है बल्कि यह भी हमारा ही धर्म है हमारी अपनी संस्कृति हमारे बुजुर्गों ने बनाई है और इस्लाम भी एक अच्छा रास्ता है हम दोनों को साथ में लेकर चलते हैं साथ में लेकर चलते हैं
भाई इस्लाम में कोई खराबी तो है नहीं जो हम इस्लाम को छोड़ें हिंदू धर्म जैसे महान है उसी तरह इस्लाम धर्म भी बहुत महान है तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि हम में इस्लाम को छोड़कर हिंदू धर्म अपना ली आज भी हम हिंदू धर्म की सभी जितने भी संस्कार है उनका सम्मान करते हैं और यथोचित उन को अपनाते भी है और लेकिन इस्लाम में भी जो अच्छाइयां है उसको तो हम अपनाते है हमें बिल्कुल भी हिंदू धर्म से कोई परेशानी नहीं है और ना ही कोई नफरत है बल्कि यह भी हमारा ही धर्म है हमारी अपनी संस्कृति हमारे बुजुर्गों ने बनाई है और इस्लाम भी एक अच्छा रास्ता है हम दोनों को साथ में लेकर चलते हैं साथ में लेकर चलते हैं
Islam ke liye jaan hajir h. Ha jo dharm sahi h use apnao.sb dharmo ki sachai jano fir aml kro. Fir sahi dharm chuno.rajput the ab nahi Hu. Alhmdulillah muslman Hu. Very very Thank you krm Singh(kayam khan) mere dada ji jo aapne humhe sahi rasta dikhaya.
KAYAMKHANI AJ BI RAJPUTANA KE SAT H OR DHARAM BADLNE SE KYA HAM KAYAMKHANI RAJPUT AAJ BI RAJPUTANA KE LIYE TALWAR UTHA SAKTE H (JAI KAYAMKHANI RAJPUTANA)
बालको को उठाकर ले जाने वाली बात गलत है ।कर्म सिंह की शिक्षा दिक्षा दिल्ली मे तुगलक के समय हुई ।वह एक पीर के संपर्क मे आ कर मुसलमान हो गया और कायम खान नाम रख लिया ।
ये गलत है की दो बालको उठाया गया था ये राज घराने से the कायमखानी नवाब कायम खान ( करमचंद) राजा Motay राय चौहान के वंशज , Dadrewa के शासक (वर्तमान में राजस्थान के चुरू केजिले में स्थित है ) करमचंद और उसके बेटों ने बादशाह फिरोज शाह तुगलक द्वारा इस्लाम में परिवर्तित हुए थे शाह तुगलक ने उसे कायम खान (उर्दू का नाम:. نواب قائم خان, )और उसके भाई जैनुद्दीन खान और ज़बरुद्दीन खान शब्द या कायमखानी या क्यामखानी शब्द न केवल कायम खान के वंशजों बल्कि उसके भाई के वंश को भी लागू होता है! कायम खान को दिल्ली सल्तनत का अमीर बनाया गया था जिसका उलेख तुज्क ए सुल्तान ए डेक्कन के मेह्बूबिया मीर महबूब अली खान द्वारा किया गया है!
नवाब कायम खान ने हिजरी स्वत ७५४ में या ७६० हिजरी में इस्लाम ग्रहण किया था , सुल्तान फिरोजशाह उसे खान ए जेहान का शीर्षक देकर हिसार के फिरोजह का राज्यपाल नियुक्त किया था
नवाब कायम खान देहली सल्तनत के बादशाह मुहम्मद बिन तुगलक और खिज्र खान के समय तक हिसार के राज्यपाल के रूप नियुक्त रहे थे. खिज्र खान और दौलत खान लोधी, जो एक वर्ष और तीन महीने तक दिल्ली सल्तनत के शीर्ष पर थे,बाद में कायम खान और खिज्र खान के बिच कुछ मतभेद पैदा हो गए और उस समय खिजा खान एक सैन्य अभियान में गए हुए थे तब खिज्र खान को महमूद तुगलक के कुछ दरबारियों ने खिज्र खान को भड़काया की आमिर कायम खान अन्य दरबारियों से मिलकर उसको गद्दी से हटवाना चाहते है इस वजह से खिज्र खान ने सैन्य अभियान बिच में छोड़ कर नवाब कायम खान को हिंसार से बुलाकर एक बैठक का आयोजन किया जिसमे नबाब कायम खान को आमंत्रित किया और फिर हिजरी संवत २० वी जम्मादी ८२२ को धोके से जमुना के किनारे बुला कर उनकी हत्या कर दी उनके शव को जमुना में फेंक दिया जिसका वर्णन "तारीख ए फरिस्ता "में मिलता है.
बालको को उठाकर ले जाने वाली बात गलत है ।कर्म सिंह की शिक्षा दिक्षा दिल्ली मे तुगलक के समय हुई ।वह एक पीर के संपर्क मे आ कर मुसलमान हो गया और कायम खान नाम रख लिया ।
Hm bhi Kayamkhani hai or hme kayamkhani hone pr proud hai Or kayamkhani muslim hone pr bhut proud hai Kayamkhani aiso caste h jo hmesa RAJPUTANA OR INDIA ke liye hmesa wafadar caste rhi hai or phle wprld war se lekr aaj tk only kayamkhani caste seb 199 foji saheed ho gye h or hme is bat pr proud hota hai Jai Rajputana jai hind Jai Kayamkhani
मुल्क के लिए मुसलमानों के हर तबके हर वक्त कुर्बानी दी है अफसोस कि इतिहास में उनके रोल कोई नजर अंदाज कर दिया जो गद्दार व चापलूस थे आज सिंहासन पर आसीन हैं ।
Khoon gogaji Ka Nahi hai, arjan sarjan mein se Kisi Ka beta tha bairsi, Jo khud musalmaano Ka Saath dete thhe, goga ji sarvansh k daani Hain, unke Saath unka vansh khatam hogya ye unke door k Bhai Ka khoon hai
Kayamkhani muslim veer goga chouhan ke vanshaj hai... Goga dev ji NE Hindu dharm ki Raksha ki khatir Mohammed gajnavi se ladai karte hua apna balidan diva tha. Na ki rajputana ki Raksha ke liye ...kayamkhani ko apne is devta ka gyan hona chahiye . .Jai goga ji chouhan. .
Koi nahi dosto Jo Bhai janha h khush hai Mere bahut badiya dost hai kayamkhani Me unki ijjat bhi karta hu ek foji hone ke Nate Brave blood of kayamkhani Your brother Gopal Singh RATHORE Jai Mata ji ki Jai rajputana
बहुत बेहतर जानकारी इरफान जी कृपया अधिक जानकारी प्राप्ति के लिए अपना सम्पर्क/ पता देने का कष्ट करें ।
ReplyDeleteJai rajputana .... Ap hmare Hindu bhai h ap ko to sab pta h fir ap muslim dharma q apna rakhe ho.. Vaps ao mere bhai swagat h
ReplyDeleteJai Rajputana bhai jab Humare bujrugo ne islam apnaya tha os time sirf Rajput Rajputana ke liye ladte Thea Hindu dhrm ke liye nahi os time dhram se pahle Rajputana thaa humare bujrugo ne bhi islam apna kar rajputana ke liye jaan ki baji lgai h os time jitne bhi Rajput raja Thea wo dhrm ki ladai nahi ladte Thea sirf or sirf rajputana ke liye ladte Thea aur hum Muslim hokar bhi os time rajputon ke saat milkar jung ladte Thea lekin aaj apko ye koi nahi btayega Kyo ki jo log jante Thea wo aaj is dunia me nahi h aaj apko khas karke Hindu dhram ke logo ko aaj gumrah kia ja raha h dhram ke naam par jhot par jhot phlaya ja raha h sirf apne fayede ke liye
Delete(Jai kayamkhani Jai Rajputana)
(Jai Hind)
Tribhuvan bhahi garib ko kutiya se uthakar amir ke mahal m bhitha de to wo wapis q garibi ki kutiya m aaye.jb hmare purwjone snchayi ke rste per aagye the to ham wo sachayi ka rstha kese chod de
Deleteभाई इस्लाम में कोई खराबी तो है नहीं जो हम इस्लाम को छोड़ें हिंदू धर्म जैसे महान है उसी तरह इस्लाम धर्म भी बहुत महान है तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि हम में इस्लाम को छोड़कर हिंदू धर्म अपना ली आज भी हम हिंदू धर्म की सभी जितने भी संस्कार है उनका सम्मान करते हैं और यथोचित उन को अपनाते भी है और लेकिन इस्लाम में भी जो अच्छाइयां है उसको तो हम अपनाते है हमें बिल्कुल भी हिंदू धर्म से कोई परेशानी नहीं है और ना ही कोई नफरत है बल्कि यह भी हमारा ही धर्म है हमारी अपनी संस्कृति हमारे बुजुर्गों ने बनाई है और इस्लाम भी एक अच्छा रास्ता है हम दोनों को साथ में लेकर चलते हैं साथ में लेकर चलते हैं
Deleteभाई इस्लाम में कोई खराबी तो है नहीं जो हम इस्लाम को छोड़ें हिंदू धर्म जैसे महान है उसी तरह इस्लाम धर्म भी बहुत महान है तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि हम में इस्लाम को छोड़कर हिंदू धर्म अपना ली आज भी हम हिंदू धर्म की सभी जितने भी संस्कार है उनका सम्मान करते हैं और यथोचित उन को अपनाते भी है और लेकिन इस्लाम में भी जो अच्छाइयां है उसको तो हम अपनाते है हमें बिल्कुल भी हिंदू धर्म से कोई परेशानी नहीं है और ना ही कोई नफरत है बल्कि यह भी हमारा ही धर्म है हमारी अपनी संस्कृति हमारे बुजुर्गों ने बनाई है और इस्लाम भी एक अच्छा रास्ता है हम दोनों को साथ में लेकर चलते हैं साथ में लेकर चलते हैं
DeleteHum apne dharam m khush h home gurv h ki hamare bujurgo ne Islam dharam apnaya
Deleteकायम खान के बाप मोटाराम जी ने तो इस्लाम नहीं अपनाया,ये भी तो तुम्हारे ही बुजुर्ग है,शुद्ध हो जाओ,घर वापसी कर लो,इस्लाम मजहब अच्छा नहीं है।
DeleteIslam ke liye jaan hajir h.
DeleteHa jo dharm sahi h use apnao.sb dharmo ki sachai jano fir aml kro. Fir sahi dharm chuno.rajput the ab nahi Hu. Alhmdulillah muslman Hu.
Very very Thank you krm Singh(kayam khan) mere dada ji jo aapne humhe sahi rasta dikhaya.
Allah ne Kaym kha ko Firoz tuglak Jese Islam ke AK azim badsha ke zariy iman ka nur nasib kiya
DeleteH Allah in ko forbid me aala Se aala madam nasib kre
Muslim community jada best h isme Shanti aman h ek bar khud dekho na ki kisi se pucho khud dekh pata chal jayga bhaiyo
DeleteKAYAMKHANI AJ BI RAJPUTANA KE SAT H OR DHARAM BADLNE SE KYA HAM KAYAMKHANI RAJPUT AAJ BI RAJPUTANA KE LIYE TALWAR UTHA SAKTE H (JAI KAYAMKHANI RAJPUTANA)
ReplyDeleteJay kaymkhani jay rajputana
ReplyDeleteMuj pta skte ho kya ap ki apni kayamkhani caste m kitni gotar h aur konsi konsi
ReplyDeleteGotr se kya lena dena
DeleteIslam me Allah ko manne wale ko hum brabr samjhte h chahe vo kisi Gotr ka ho
बालको को उठाकर ले जाने वाली बात गलत है ।कर्म सिंह की शिक्षा दिक्षा दिल्ली मे तुगलक के समय हुई ।वह एक पीर के संपर्क मे आ कर मुसलमान हो गया और कायम खान नाम रख लिया ।
ReplyDeleteमतलब ब्रेन वाश कर दिया मदरसे में।
Deleteये गलत है की दो बालको उठाया गया था ये राज घराने से the
Deleteकायमखानी नवाब कायम खान ( करमचंद) राजा Motay राय चौहान के वंशज , Dadrewa के शासक (वर्तमान में राजस्थान के चुरू केजिले में स्थित है ) करमचंद और उसके बेटों ने बादशाह फिरोज शाह तुगलक द्वारा इस्लाम में परिवर्तित हुए थे शाह तुगलक ने उसे कायम खान (उर्दू का नाम:. نواب قائم خان, )और उसके भाई जैनुद्दीन खान और ज़बरुद्दीन खान शब्द या कायमखानी या क्यामखानी शब्द न केवल कायम खान के वंशजों बल्कि उसके भाई के वंश को भी लागू होता है! कायम खान को दिल्ली सल्तनत का अमीर बनाया गया था जिसका उलेख तुज्क ए सुल्तान ए डेक्कन के मेह्बूबिया मीर महबूब अली खान द्वारा किया गया है!
नवाब कायम खान ने हिजरी स्वत ७५४ में या ७६० हिजरी में इस्लाम ग्रहण किया था , सुल्तान फिरोजशाह उसे खान ए जेहान का शीर्षक देकर हिसार के फिरोजह का राज्यपाल नियुक्त किया था
नवाब कायम खान देहली सल्तनत के बादशाह मुहम्मद बिन तुगलक और खिज्र खान के समय तक हिसार के राज्यपाल के रूप नियुक्त रहे थे. खिज्र खान और दौलत खान लोधी, जो एक वर्ष और तीन महीने तक दिल्ली सल्तनत के शीर्ष पर थे,बाद में कायम खान और खिज्र खान के बिच कुछ मतभेद पैदा हो गए और उस समय खिजा खान एक सैन्य अभियान में गए हुए थे तब खिज्र खान को महमूद तुगलक के कुछ दरबारियों ने खिज्र खान को भड़काया की आमिर कायम खान अन्य दरबारियों से मिलकर उसको गद्दी से हटवाना चाहते है इस वजह से खिज्र खान ने सैन्य अभियान बिच में छोड़ कर नवाब कायम खान को हिंसार से बुलाकर एक बैठक का आयोजन किया जिसमे नबाब कायम खान को आमंत्रित किया और फिर हिजरी संवत २० वी जम्मादी ८२२ को धोके से जमुना के किनारे बुला कर उनकी हत्या कर दी उनके शव को जमुना में फेंक दिया जिसका वर्णन "तारीख ए फरिस्ता "में मिलता है.
♥ K K ♥
बालको को उठाकर ले जाने वाली बात गलत है ।कर्म सिंह की शिक्षा दिक्षा दिल्ली मे तुगलक के समय हुई ।वह एक पीर के संपर्क मे आ कर मुसलमान हो गया और कायम खान नाम रख लिया ।
ReplyDeleteHm bhi Kayamkhani hai or hme kayamkhani hone pr proud hai
ReplyDeleteOr kayamkhani muslim hone pr bhut proud hai
Kayamkhani aiso caste h jo hmesa RAJPUTANA OR INDIA ke liye hmesa wafadar caste rhi hai or phle wprld war se lekr aaj tk only kayamkhani caste seb 199 foji saheed ho gye h or hme is bat pr proud hota hai
Jai Rajputana jai hind Jai Kayamkhani
खून तो गोगाजी का है,राजपूत खून है,शुद्ध हो जाओ घर वापसी कर लो।
DeleteHum bilkul shudh h and we proud of kayamkhani and proud of musliM any doubt
Deleteमुल्क के लिए मुसलमानों के हर तबके हर वक्त कुर्बानी दी है अफसोस कि इतिहास में उनके रोल कोई नजर अंदाज कर दिया जो गद्दार व चापलूस थे आज सिंहासन पर आसीन हैं ।
ReplyDeleteI am proud of I am kaymkhani.kyoki ek kaymkhani he h Jo Islamic aur Hindu dhram ke riti riwaz aaj bhi mante h.
ReplyDeleteJay Rajputan jay kayamkhani chauhan
DeleteKhoon gogaji Ka Nahi hai, arjan sarjan mein se Kisi Ka beta tha bairsi, Jo khud musalmaano Ka Saath dete thhe, goga ji sarvansh k daani Hain, unke Saath unka vansh khatam hogya ye unke door k Bhai Ka khoon hai
DeleteKyaa aap fb pr hey
ReplyDeleteKayamkhani muslim veer goga chouhan ke vanshaj hai... Goga dev ji NE Hindu dharm ki Raksha ki khatir Mohammed gajnavi se ladai karte hua apna balidan diva tha. Na ki rajputana ki Raksha ke liye ...kayamkhani ko apne is devta ka gyan hona chahiye . .Jai goga ji chouhan. .
ReplyDeleteBhai khud gogaji ne bhi islam apna liya tha isiliye brahamen unki ijjat nhi krte
DeleteKoi nahi dosto Jo Bhai janha h khush hai
ReplyDeleteMere bahut badiya dost hai kayamkhani
Me unki ijjat bhi karta hu ek foji hone ke Nate
Brave blood of kayamkhani
Your brother
Gopal Singh RATHORE
Jai Mata ji ki Jai rajputana
थैंक्यू यू sir
DeleteBilkul sahi baat banna aapki
DeleteJai mata je ki
Jai rajputana
हम प्रथ्वीराज चौहान के वंसज (जय कायमखानी राजपुताना )
ReplyDeleteI am very proud feel because I am kayamkhani ����
ReplyDeleteसभी कायम खानी भाइयो का राजपूत धर्म मे स्वागत है और हमारी इच्छा है कि कायम खानी भाई जो हमसे दूर हो गए वापिस अपने घर पधारे मेहरबानी होगी
ReplyDelete