शिक्षित बनो संगठित रहो

दरअसल ८०० साल की जिस हुकूमत की बात आप कर रहे है उसे "मुसलमानों की हुकूमत" कहना गलत है। इस्लाम धर्म को मानने वाले उन बादशाहों की हुकूमत के दौरान आम मुसलमान की हालत क्या थी? क्या आम मुसलमान की राय इन हुकूमतों के काम काज में कोई मायने रखती थी? इन बादशाहों का आम मुसलमानों से कोई नाता था? इन बादशाहों की जुबान आम मुस्लमान की जुबान से अलग थी (बादशाह फ़ारसी बोलते थे और फ़ारसी आम मुस्लमान की समझ के बाहर थी), उनका पहनावा आम मुस्लमान की पहनावे से अलग था, आम हिंदुस्तानी मुस्लमान और यह बादशाह लोग इन दोनों में बहुत काम समानताएं थी। इस वजह से महज कुछ मुसलमान बादशाहों की सत्ता को पूरी कौम की सत्ता कहना गलत है।
हां इतना जरूर कह सकते हैं की आजादी के बाद मुसलमानों की दुर्दशा को गति मिली। आप छोड़िये इतिहास को वर्तमान पे फोकस कीजिये। 
Share on Google Plus

About Unknown

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Google Comment
    Facebook Comment

1 comments:

  1. शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित रहो
    =========================


    बुद्ध ने मनुष्य की चेतना में क्रांति पैदा की। इसके लिए उन्होने तीन समादेश जारी किए :-
    .
    1.) बुद्धं शरणं गच्छामि
    2.) धम्मं शरणं गच्छामि
    3.) संघं शरणं गच्छामि
    .
    जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर ने :- शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित रहो कहा.
    .
    तथा जिसको मान्यवर कांशीराम ने Dalit Shoshit Samaj Sangharsh Samiti (DS-4), BAMCEF और Bahujan Samaj Party (BSP) बनाकर कार्यान्वित किया।
    .
    मगर पढे-लिखे दलितों ने इन समादेशों में उलटफेर कर उनको शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो कर दिया।


    लल्लुओं ने यह अर्थ निकाला कि शिक्षित होने के बाद आदमी संगठित होता है तथा उसके बाद ही संघर्ष किया जा सकता है।


    यदि ऐसा होता तो बाबासाहेब अंबेडकर आगरा में शिक्षित दलितों की अहसान फरामोशी से फूट-फूट कर क्यों रोते।
    .
    आज भी दलित कर्मचारियों के पॉकेट संगठनों के Letter Head में उपरोक्त क्रम गलत लिखा मिलेगा। अंबेडकरवाद में शिक्षित होने के बाद दलित कुदरती तौर पर आंदोलित हो जाता है और संगठन अपने आप बनता है।
    .
    भारत में सिर्फ मान्यवर कांशीराम ने BAMCEF के लेटर हेड में इसका सही क्रम लिखा। इसलिए वे कामयाब भी रहे।
    .
    इस सम्बंध में देखें लेखक की अन्य पुस्तक :- “बाबासाहेब के तीन उपदेश और उनका सही क्रम”।
    .
    SOURCE - प्रो॰ रामनाथ, "भारतीय नारी मनु की मारी", सम्यक प्रकाशन, दिल्ली



    ReplyDelete